मंगलवार, 11 नवंबर 2008

कल्लू कुत्ता और भगेरा

जगदीश जैन

* बिजली अगर छूते ही करेंट न मारती तो लोग खंभों से सारे तार पिलास से काटकर समेट ले जाते.
* हुकूमत कमजोर हो कोई बात नहीं, हुकुम कमजोर नहीं होना चाहिए. आज़ाद भारत को हुकूमत स्वार्थियों और कमजोर हुकुम वालें लोगों की मिली है, यह भारत का दुर्भाग्य है. इसका परिणाम सबके सामने है.
* देश निरंतर दुर्गति की ओर बढ़ रहा है. देश में कुत्ते की तरह हड्डी चूसने और अपने मसूड़ों के खून का असवादन करने वाले जनमानुस का बाहुल्य है.
* आज धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के नाम पर DIVIDE & RULE की पॉलिटिक्स करने वालों के साथ भगेरे जैसे व्यवहार की आवश्यकता है.




कल्लू कुत्ते ने जंगल में उत्पात मचा रखा था. किसी भी पशु की हिम्मत उस उद्दंड के सामने बोलने की नहीं थी. एक दिन भगेरे ने कल्लू को पकड़ लिया और उसके दो जोरदार थप्पड़ टीका दिए. कल्लू कुत्ते को दिन में तारे दिखाई दे गये.
इस पर कल्लू कुत्ते ने भगेरे से कहा-
`दद्दा, आपने मुझे क्यों मारा है?'
`इस बात को अब तुम्हें ही सोचना है कि क्यों मारा है?'
कल्लू कुत्ता अवाक भगेरे का मुँह देखता रह गया.

जंगल में पशुतन्त्र स्थापित हो गया. मुंडन हाथी ने पहिला भाषण दिया, `भाइयों इस वन की दशा किसी से छुपी नहीं है. अपराधी को जब तक यह लगता है कि वह येन्केन प्राकरेन छूट जाएगा तब तक ही अपराधों में वृद्धि होती है. और जब आम पशुओं को यह विश्वास हो कि अपराधी किसी भी दशा में बच नहीं पाएगा तो अपराध स्वमेव ही घटने लगते हैं. हमे आम पशुओं में समुचित नियम और क़ानून का विश्वास बनाना है.

शेयर्स और मुनाफ़ा

`चिड़िया, शेयर्स में दलाल, कंपनीज़ और इन्वेस्टर्स का खेल है. दलाल तो अपने बाप को भी न छोड़ेगा, कंपनीज़ घाटे का सौदा क्यों करेंगी? इन्वेस्टर्स किताब पढ़-पढ़कर मुनाफ़ा कमा लेंगे. अब तुम यह तो बताओ कि फिर धन आ कहाँ से रहा है?'
इस पर चिड़िया खूब ही हँसी और बोली, ` चिड़े, तुमने तो आज कमाल का सवाल पूछा है . चिड़े, व्हेल छोटी फिश को खा-खा कर ही बड़ी होती है. शेयर्स के धंधे मे दलाल और कंपनीज़ व्हेल हैं और इन्वेस्टर्स फिश, अन्त:तोग्त्वा इन्हें दलाल और कंपनीज़ के उदर में समा जाना है, तभी तो भारत में करोड़पति बढ़ेगें.'

शुक्रवार, 12 सितंबर 2008

टेलिफोन और मोबाइल की धोखाधड़ी

टेलीफोन और मोबाइल जरुरी बात करने और तत्काल सूचना के आदान-प्रदान के लिए होते हैं न कि लो कर लो जी भरकर बात या फालतू की बकवास के लिए. दिन-प्रतिदिन इनकी दरों में परिवर्तन भी उचित नहीं है. टेलीफोन और मोबाईल की दरें तमाशा बन गई हैं. इससे उपभोक्ता का शोषण किया जा रहा है. दरें स्पष्ट और कम से कम तीन माह में अपरिवर्तनीय होनी चाहिए.
1. एक मोबाइल कंपनी के विज्ञापन का नमूना यहाँ पेश है:
(ए) रूपये 999 में कहें जीवन भर हेलो.

(बी) * तुंरत कनेक्शन * कोई मासिक किराया नहीं

(सी) वर्त्तमान वैधता जुलाई 2021 तक या नवीनीकृत लाईसेन्स अवधि तक.
(डी) आजीवन वैधता के लिए हर महिने कम से कम रूपये 125.00 का रिचार्ज.
(इ) इस कंपनी के हिसाब से शायद जीवन 2021 तक ही है और प्रति वर्ष 500 रूपये जो देने होगें यानि कि 13 साल तीन महिने में 999+125+6500= 7624.00 देने होगें. ये 7624 कहीं से मुफ्त में आ जायेगें.

यह विज्ञापन अपने आप में सीधा धोखाधडी है. ऐसे धोखे के विज्ञापन शायद सरकार की सहमती से ही दिए जा रहे हैं. कौन बचायेगा उपभोक्ता को इस धोखधडी से\ इस प्रकार के विज्ञापनों के विरुद्ध सीधे कोर्ट को संज्ञान लेकर कार्यवाही करनी चाहिए. कोई भी विज्ञापन दो टूक होना चाहिए ताकि उपभोक्ता किसी धोखे में न रहे. उपभोक्ता संरक्षण का दायित्व सरकार और कोर्ट का है.

आम आदमी को चाहिए की वह भी धोखाधड़ी वालों से सावधान रहे और टेलिफोन और मोबाइल का उपयोग ज़रूरत भर के लिए करे, इसे तफ़री का साधन न तो समझे और न ही तफ़री का साधन बनाये.

शेयर्स और मुनाफ़ा


जगदीश जैन

`चिड़िया, शेयर्स में दलाल, कंपनीज़ और इन्वेस्टर्स का खेल है. दलाल तो अपने बाप को भी न छोड़ेगा, कंपनीज़ घाटे का सौदा क्यों करेंगी? इन्वेस्टर्स किताब पढ़-पढ़कर मुनाफ़ा कमा लेंगे. अब तुम यह तो बताओ कि फिर धन आ कहाँ से रहा है?'
इस पर चिड़िया खूब ही हँसी और बोली,`चिड़े, तुमने तो आज कमाल का सवाल पूछा है. चिड़े, व्हेल छोटी फिश को खा-खा कर ही बड़ी होती है. शेयर्स के धंधे मे दलाल और कंपनीज़ व्हेल हैं और इन्वेस्टर्स फिश. अन्त:तोग्त्वा इन्वेस्टर्स को दलाल और कंपनीज़ के उदर में समा जाना है, तभी तो भारत में करोड़पति बढ़ेगें.'